गुरुवार, 17 नवंबर 2011
सतत प्रवहमान सरिता
जीवन का यह नव प्रभात है ,
सदा सत्य-पथ पर रहना |
फूल मिलें या काँटे जो भी ,
नित समभाव से सब सहना ||
जीवन तो यह कर्म -क्षेत्र है ,
कायर की यहाँ पहचान नहीं |
जो रहते नित कर्म-मार्ग पर ,
विजय सदा पाते हैं वही ||
------------------- डा० विजय शास्त्री
तिथि : १७.११.२०११
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